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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : सिद्दीक़ मुजीबी

संपादक : बाबर मुजीबी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : अनअम पब्लिकेशंस, राँची

मूल : रांची, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2015

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 138

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-81-930689-0-8

सहयोगी : सादिक़

pul sirat ke aage
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लेखक: परिचय

बीसवीं सदी के छठे और सातवें दशक के दौरान साहित्यिक जगत पर उभरने वाले शायरों में सिद्दीक़ मुजीबी का नाम ख़ास अहमियत रखता है। सिद्दीक़ मुजीबी छोटा नागपुर के आदिवासी इलाक़े में पैदा हुए और वहीं बड़े हुए। आदिवासी इलाक़ों के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलनों, ख़ास तौर पर उनकी बाग़ी कोशिशों और विरोधी प्रवृत्तियों ने सिद्दीक़ मुजीबी की साहित्यिक सोच को आकार दिया है।
सिद्दीक़ मुजीबी की शायरी का एक ख़ास गुण उनकी सीधी और स्पष्ट अभिव्यक्ति है। वह अपनी भावनाओं को छिपा कर पेश करने में विश्वास नहीं रखते। इस सीधे अंदाज़ और सचेत मासूमियत ने अक्सर उनकी शायरी को एक आध्यात्मिक पवित्रता के साथ जोड़ दिया है। सिद्दीक़ मुजीबी की ग़ज़लों में संदेह और जिज्ञासा का पहलू भी पाठक को बेहद प्रभावित करता है।

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