aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
क़य्यूम नज़र, ख़्वाजा अब्दुल क़य्यूम बट (1914-1989) प्रगतिशील विचारधारा के दूसरे सिरे पर चलने वाली आधुनिकदा-वादी लहर का प्रतिनिधित्व करने वाले शाइरों के समूह ‘हल्क़ा-ए-अर्बाब-ए-ज़ौक़’से संबंधित रहे। लाहौर में पैदाइश। बुनयादी तौर पर नज़्में और गीत लिखे। घर के हालात अच्छे नहीं थे, इस लिए कालेज की तालीम पूरी न कर सके और छोटी मोटी नौकरियाँ करते रहे। बाद में उर्दू में एम़ ए़ किया और अध्यापन-कार्य में लग जाए। सैर और शिकार के बड़े शौकीन थे।
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