aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
پرویز شاہدی کے شعری مجموعہ "رقص حیات" زیر مطالعہ ہے۔ جس کو ل۔احمد اکبرآبادی صاحب نے مرتب کیا ہے۔ ابتد امیں مرتب نے شاعر پرویز شاہدی کی مختصر سوانح حیات بھی بیان کی ہے۔ اس مجموعہ میں ان کی نظمیں اور رباعیات شامل ہیں۔ کلام کے مطالعے سے شاعر کا وسعت مطالعہ، تجربات کا تنوع، سماجی مسائل کی عکاسی اور رومانیت کا احساسات عیاں ہوتے ہیں۔ ان کی نظمیں " تلوار، بنت ہمالہ، مارکسی نظریات کی عکاس ہیں۔ اس کے علاوہ گلچیں ، تجدید سفر، انتظار، آخری ملاقات وغیرہ نظموں میں رومانی احساسات وجذبات روشن ہیں۔ پرویز شاہدی کے رباعیات بھی متنوع موضوعات کے ساتھ پر اثر اور کامیاب ہیں۔
परवेज़ शाहीदी प्रगतिशील शाइर और आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे. 30 सितम्बर 1910 को अज़ीमाबाद में पैदा हुए. सय्यद इकराम हुसैन नाम था. कलकत्ते से 1925 में मैट्रिक किया. 1930 में पटना यूनिवर्सिटी से फ़ारसी साहित्य में बी.ए. किया और 1934 में एम.ए. 1935 में नौकरी के लिए कलकत्ते चले गये. कलकत्ते में नौकरी के दौरान ही कम्युनिस्ट आंदोलन से सम्बद्ध होगये और सक्रिय रूप से पार्टी के कामों में लग गये. 1949 में जेल भी गये. परवेज़ आजीविका के लिए बहुत परेशान रहे. कई स्कूलों में शिक्षक के रूप में भी काम किया. उम्र के आख़िरी दिनों में 1958 से 1968 तक कलकत्ता यूनिवर्सिटी में उर्दू के लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुए.
परवेज़ शाहीदी के दो काव्य संग्रह ‘रक्स-ए-हयात’ और ‘तस्लीस-ए-हयात’ के नाम से प्रकाशित हुए. उन्होंने नज़्म और ग़ज़ल दोनों विधाओं में शाइरी की. 05 मई 1968 को देहांत हुआ.
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