aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
قمر جلالی نے اردو شاعری کے ساتھ فلمی نغمہ نگاری میں بھی یکساں شہرت حاصل کی ہے۔انھوں نے اپنی زندگی کے تقریبا چالیس سال فلم انڈسٹری کو دیے،جہاں مختلف فلموں کے لیے کئی نغمے لکھے۔ اس کے علاوہ بھی قمر جلالی نے کئی غزلیں لکھی ہیں۔ پیش نظر قمر جلالی کی غیر فلمی غزلوں کا مجموعہ "رشک قمر" ہے۔جس میں شامل غزلیں اپنے اسلوب اور روانی کے باعث موثر ہیں۔ جس کے مطالعے کے بعد یہی محسوس ہوتا ہے کہ شاعر کسی پیام کے قائل نہیں ہیں۔لیکن ان کی غزلیں مترنم اورمنفرد لب ولہجہ کے ساتھ قارئین کو متوجہ کرنے میں کامیاب ہیں۔ان کی زبان آسان اور عام فہم ہےکہیں کہیں ہندی الفاظ کا استعما ل بھی روانی سے ہوا ہے۔کلام قمر میں روایت کی پاسداری تو کہیں روایت سے بغاوت بھی نظر آتی ہے۔ ابتدا میں شاعر کی سوانح حیات بھی شامل کلام ہے۔
क़मर जलालाबादी (अंग्रेज़ी: Qamar Jalalabadi; जन्म- 1919, जलालाबाद, अमृतसर; मृत्यु- 9 जनवरी, 2003) भारतीय हिन्दीफ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार और कवि थे। ये चार दशकों तक हिन्दी फ़िल्मी जगत् को बतौर गीतकार एक से बढ़कर एक गीत लिखकर प्रदान करते रहे। क़मर जलालाबादी द्वारा लिखे गए गीत आज भी भारत में बड़े पैमाने पर सुने जाते हैं। फ़िल्म 'हावड़ा ब्रिज' का मस्ती भरा गीत "मेरा नाम चिन चिन चूँ" और "आइये मेहरबां बैठिये जाने जाँ" कालजयी बन चुके हैं। क़मर जलालाबादी ने अपने लम्बे करियर में हिन्दी सिनेमा के लगभग सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ कार्य किया। एक गीतकार के रूप में क़मर जलालाबादी ने बहुत सारे अविस्मरणीय गीत हिन्दी सिनेमा को दिये। बहुत कम गीतकार ऐसे होंगे, जिनके रचे गीत दशकों तक श्रोताओं के जीवन का अभिन्न अंग बन रहे हों।
क़मर जलालाबादी का जन्म वर्ष 1919 में ब्रिटिश कालीन भारत में अमृतसर के 'जलालाबाद' में हुआ था। इनके बहुत सारे गीतों में दर्शन समाहित रहा है। माता-पिता ने इनका नाम 'ओम प्रकाश भण्डारी' रखा था। क़मर जलालाबादी ने सात साल की बाल्यावस्था से ही उर्दू में कविताएँ लिखना प्रारम्भ कर दिया था। घर से तो उन्हें किसी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं मिलता था, पर एक घुमंतु कविअमर ने उनके अंदर छिपी काव्य प्रतिभा को पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया था। उन्होंने ही ओम प्रकाश भण्डारी को तखल्लुस 'क़मर' प्रदान किया, जिसका अर्थ होता है- 'चाँद'। उस समय की परिपाटी के अनुसार चूँकि ओम प्रकाश जी जलालाबाद में रहते थे, अतः उनका कवि के रूप में नामकरण हो गया "क़मर जलालाबादी"।[1]
फ़िल्मों के प्रति आकर्षण क़मर जलालाबादी को चालीस के दशक के शुरू में पूना ले आया और 1942 में उन्हें 'जमींदार' फ़िल्म में गीत लिखने का मौका मिल गया। फ़िल्म के गीत अच्छे चले और ख़ास तौर पर श्मशाद बेगम द्वारा गाया गया गीत "दुनिया में गरीबों को आराम नहीं मिलता", अच्छा लोकप्रिय हुआ। बाद में वे बम्बई (वर्तमान मुम्बई) आ गये और अगले चार दशकों तक हिन्दी फ़िल्मी जगत् को बतौर गीतकार एक से बढ़कर एक गीत लिखकर प्रदान करते रहे। यूँ तो उन्होंने फ़िल्म की कहानी की माँग के अनुसार हर तरह के गीत लिखे, परंतु उनके द्वारा रचे गये वियोग वाले प्रेम गीत अपना एक अलग ही स्थान रखते हैं। मानवीय भावनाओं को उन्होंने अपने गीतों में बहुत खूबसूरती और गहराई से ढाला। उनके रचे गीत जीवन से एक गहरा जुड़ाव लिये हुये रहे।
क़मर जलालाबादी ने अपने समय के लगभग सभी गायक-गायिकाओं के साथ कार्य किया। उनके लिखे गीतों को हिन्दी सिनेमा के लगभग सभी मशहूर गायक-गायिकाओं, मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ, जी.एम दुर्रानी, ज़ीनत बेग़म, मंजू, अमीरबाई कर्नाटकी, मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद, गीता दत्त, सुरैया, श्मशाद बेगम, मुकेश, मन्ना डे, आशा भोंसले, किशोर कुमार और स्वर-कोकिला लता मंगेशकर आदि ने गाया।[1]
क़मर जलालाबादी के लिखे गीतों को कुछ संगीत निर्देशकों ने स्वयं भी गाया। एस. डी. बर्मन ने 1946 में बनी 'एट डेज़' फ़िल्म के लिये एक कॉमिक गीत "ओ बाबू बाबू रे दिल को बचाना बचाना दिल का बनेगा निशाना…" अपनी आवाज़ में गाया। संगीत निर्देशक सरदार मलिक ने भी उनके लिखे कई गीत गाये और 1947 में बनी 'रेणुका' के एक गीत "सुनती नहीं दुनिया कभी फरियाद किसी की, दिल रोता रहा आती रही याद उसकी" ने लोकप्रियता हासिल की।
काम के बाद बचा हुआ वक्त्त घर पर परिवार के साथ बिताना पसंद करने वाले क़मर जलालाबादी ने अपने लम्बे करियर में हिन्दी सिनेमा के लगभग सभी प्रसिद्ध संगीतकारों ग़ुलाम हैदर, जी. दामले, प. अमरनाथ, खेमचंद प्रकाश, हुस्नलाल भगतराम, एस. डी. बातिश, श्याम सुंदर, सज्जाद हुसैन, सी. रामचंद्र, मदन मोहन, सुधीर फड़के, एस. डी. बर्मन, सरदार मलिक, रवि, अविनाश व्यास, ओ. पी. नैयर, कल्याणजी आनंदजी, सोनिक ओमी, उत्तम सिंह और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल आदि के साथ काम किया।
क़मर जलालाबादी का निधन 9 जनवरी, 2003 को हुआ। उन्होंने भारतीय सिनेमा तथा जनता को ऐसे बेहतरीन गीत दिए, जिन्हें कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता।
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