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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : आसी उल्दनी

प्रकाशक : आसी उल्दनी

प्रकाशन वर्ष : 1966

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : शायरी तन्क़ीद, रुबाई तन्क़ीद

पृष्ठ : 159

सहयोगी : ग़ालिब अकेडमी, देहली

rubaiyat-e-umar khayyam par ek tahqeeqi nazar
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लेखक: परिचय

अब्दुल बारीआसीकी शख़्सियतविभिन्न पहलुओं वाली थी। वो एक अच्छे शायर, क्लासिकी मुतून के व्याख्याकार, उपन्यासकार और अनुवादक थे। आसी का जन्म1893 को मेरठ में हुआ। उनके पिता शेख़ हसामुद्दीन मिर्ज़ा ग़ालिब के शागिर्द और एक अच्छे शायर थे। आसी ने अरबी-ओ-फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त की और शाहजहाँ पुर के एक स्कूल में फ़ारसी के शिक्षक के तौर पर फ़राएज़ अंजाम दिए। कुछ वर्ष तक मोहम्मद अली जौहर के अख़्बार ‘हमदर्द’ में काम किया। उस के बाद वो लखनऊ में  नवलकिशोर प्रकाशन से वाबस्ता हो गए।

घर और आस-पास के शेरी माहौल ने शुरुआत ही से आसी की तबीअत को शायरी की तरफ़ माइल कर दिया था। आग़ाज़-ए-शायरी में मौलाना सिराज अहमद सिराज से इस्लाह ली फिर नातिक़ गुलावठी की शागिर्दी इख़्तियार कर ली। कुछ ग़ज़लें दाग़ देहलवी को भी दिखाईं।

ग़ालिब और हाफ़िज़ के कलाम की व्याख्या अब्दुल बारी आसी के अहम तरीन इल्मी कामों में से है। उन्होंने शायरात का एक तज़किरा भी लिखा जो नवलकिशोर प्रकाशन से ‘तज़कीरा-तुल-ख़वातीन’ के नाम से प्रकाशित हुआ।

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