by मोहम्मद हमीद शाहिद
saadat hasan manto
Jadooi Haqiqat Nigari Aur Aaj Ka Afsana
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Jadooi Haqiqat Nigari Aur Aaj Ka Afsana
سعادت حسن منٹو کا نام اردو افسانے کے منظر نامے میں کافی معروف و مشہور ہے۔ وہ بچپن سے لیکر موت تک مختلف فیہ اور چرچوں میں رہے۔کبھی ان کو ترقی پسند ، رجعت پسند ، جنس نگار ، فحش نگار، شعور اور لاشعور کی بھول بھلیوں میں بھٹکے ہوئے بیمار ذہن کی پیداوار اور زندگی کی گوناگوں حقیقتوں کو پیش کرنے والا فنکار قرار دیا گیا،حتی کہ ایک زمانے تک انھیں اردو کا بدنام ترین افسانہ نگار کہا جاتا رہا، تاہم اگر ان کے افسانوں کو موضوعات، اسالیب اور تکنیک کے لحاظ سے دیکھا جائے تو ان کی کہانیوں میں کافی تنوع ملتاہے، زیر نظر کتاب منٹو کے فن پر لکھے گئے پانچ مضامین کا مجموعہ ہے ، جن مضامین میں محمد حمید شاہد نے منٹو کی کہانیوں کا تجزیہ پیش کیا ہے،ساتھ ہی ساتھ منٹو کی شخصیت اور فن کے اہم پہلوؤں کو اجاگر کیا ہے۔
मोहम्मद हमीद शाहिद उर्दू के प्रसिद्ध अफ़साना निगार, उपन्यासकार और आलोचक हैं। आप 23 मार्च 1957 को पिंडी घीब, ज़िला अटक (पंजाब) पाकिस्तान में पैदा हुए। आपके पिता, ग़ुलाम मोहम्मद, अपने क्षेत्र में ज्ञान-प्रेमी सामाजिक और राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने घर में एक पुस्तकालय स्थापित किया था, जिसने मोहम्मद हमीद शाहिद को पढ़ाई की ओर आकर्षित किया। आप “आवान अजमल” कुल से हैं और आपके दादा, हाफिज़ ग़ुलाम नबी ने 1947 में अपने गाँव चकी को अलविदा कहकर पिंडी घीब में निवास शुरू किया।
मोहम्मद हमीद शाहिद ने प्रारंभिक शिक्षा पिंडी घीब से प्राप्त की, जबकि मैट्रिक के बाद कृषि विश्वविद्यालय लायलपुर (फ़ैसलाबाद) चले गए, जहाँ एफ़.एस.सी. के बाद कृषि विषयों में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। हाॅर्टिकल्चर में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद, आपने अपनी शैक्षिक प्राथमिकताओं को बदलने की कोशिश की और पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर में प्रवेश लिया, लेकिन पिता की गंभीर बीमारी और बाद में उनकी मृत्यु के कारण यह सिलसिला टूट गया और आपने एक बैंकर के रूप में व्यावसायिक जीवन की शुरुआत की।
मोहम्मद हमीद शाहिद एक बैंकर के रूप में 32 वर्षों तक व्यावसायिक जीवन से जुड़े रहे। इस दौरान आप देशभर में शहर-शहर घूमे, ग्रामीण जीवन को निकटता से देखा और कई देशों का दौरा भी किया। आप बैंक के स्टाफ़ कॉलेज में लगातार क्रेडिट, रिकवरी, अकाउंटिंग, रिस्क मैनेजमेंट और ऑनलाइन बैंकिंग जैसे विषयों पर व्याख्यान देते रहे। इन विषयों पर आपने अन्य बैंकों, वित्तीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में भी विशेष व्याख्यान दिए।
मोहम्मद हमीद शाहिद की साहित्यिक जीवन की शुरुआत विश्वविद्यालय के समय से ही हो गई थी। वह कृषि विश्वविद्यालय (फ़ैसलाबाद) की पत्रिका “किश्त-ए-नौ” के संपादक रहे। उनका पहला अफ़साना भी उसी समय लिखा गया। उनकी पहली किताब “पैकर-ए-जमील” भी विश्वविद्यालय के समय में लिखी गई। अफ़सानों का पहला संग्रह “बंद आँखों से परे” था, जबकि “जनम जहन्नम”, “मर्ग-ज़ार” और “आदमी” आपके अफ़सानों के अन्य संग्रह हैं। “मोहम्मद हमीद शाहिद के पचास अफ़साने” प्रसिद्ध वृद्ध लेखक और शायर डॉक्टर तौसीफ़ तबस्सुम द्वारा चयनित हैं, जबकि मोहम्मद हमीद शाहिद के 9/11 के संदर्भ में लिखे गए चयनित अफ़सानों को “दहशत में मोहब्बत” के नाम से ग़ालिब नश्तर ने संकलित किया था। आपका उपन्यास “मिट्टी आदम खाती है” के नाम से प्रकाशित और लोकप्रिय हुआ।
फ़िक्शन की आलोचना मोहम्मद हमीद शाहिद की प्राथमिकताओं का एक और क्षेत्र है। “अदबी तनाज़िआत”, “उर्दू अफ़साना: सूरत-ओ-मानी”, “उर्दू फ़िक्शन: नए मुबाहिस”, “कहानी और योसा से मुआमला” के अलावा “सआदत हसन मंटो: जादुई हक़ीक़त और आज का अफ़साना” इस संदर्भ में कुछ प्रसिद्ध किताबें हैं। उर्दू कविता पर आलोचना की किताब “राशिद, मीराजी, फ़ैज़” के अलावा आपकी रचनाओं की किताब “लम्हों का लम्स” और अंतरराष्ट्रीय कविता के अनुवाद पर आधारित किताब “समुंदर और समुंदर” भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
पाकिस्तान सरकार ने मोहम्मद हमीद शाहिद की साहित्यिक सेवाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए उनके लिए राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार “तमग़ा-ए-इम्तियाज़” की घोषणा पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस 14 अगस्त 2016 को की, जो पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने 23 मार्च 2017 को एवान-ए-सद्र में आयोजित एक समारोह में दिया। इसके अलावा उनकी किताब “दहशत में मोहब्बत” पर लिटरेचर एक्सीलेंस अवार्ड भी मिल चुका है। मोहम्मद हमीद शाहिद “अकादमी अदबियात-ए-पाकिस्तान” की पत्रिका “अदबियात” के अलावा देश और विदेश से प्रकाशित होने वाली कई साहित्यिक पत्रिकाओं की सलाहकार समिति का हिस्सा हैं।
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