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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : हसन बरेलवी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : कलीम ताहिरी

मूल : कानपुर, भारत

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : संकलन

पृष्ठ : 33

सहयोगी : इदारा-ए-अदबियात-ए-उर्दू, हैदराबाद

saghar-e-purkaif
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लेखक: परिचय

हसन बरेलवी, मौलाना हसन रज़ा ख़ाँ (1859-1908)बरेली के एक बड़े धार्मिक घराने के चश्म-ओ-चराग़ थे। उनके बड़े भाई मौलाना आहमद रज़ा ख़ाँ ने एक नए इस्लामी पंथ की संस्थापना की। हसन बरेलवी ने भी बचपन में सारे धार्मिक ग्रंथ पढ़े। मगर दिल में इ’श्क़ की लहर थी जो शा’इरी बन कर लफ़्ज़ो में जारी हुई। मिर्ज़ा ‘दाग़’ देहलवी के शागिर्द हुए और आगे चल कर ख़ुद अपने रंग के उस्ताद हो गए।

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