aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
زیڈ اے بخاری کے نام سے مشہور سید ذوالفقار علی بخاری نے اپنی اس خود نوشت سوانح عمری پر 1962 میں کام شروع کیا روزنامہ 'حریت' میں قسط وار شائع ہونے کے بعد اسے 1966 میں کتابی شکل دی گئی۔ زیڈ اے بخاری کے مزاج کے عین مطابق، کتاب میں طنز و مزاح بھرپور انداز میں موجود ہے۔ خوبصورتی سے تحریر شدہ اس کتاب میں پاکستان اور ہندوستان کے اندر براڈکاسٹنگ کی تاریخ پر بھی نظر ڈالی گئی ہے۔
ज़ुल्फ़िकार अली बुख़ारी जून 1904 को पेशावर में पैदा हुए. वह शायर होने के साथ एक अच्छे पत्रकार और मुसिक़ार थे. लाहौर और लंदन से पत्रकारिता की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद मुंबई रेडियो स्टेशन से सम्बद्ध हो गये. विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गये और रेडियो पाकिस्तान के डायरेक्टर जेनरल के पद पर आसीन रहे. शायरी में हसरत मोहानी, अल्लामा इक़बाल, यगाना और वहशत कल्कत्वी से लाभ उठाया. 12 जुलाई 1975 को कराची में देहांत हुआ.
ज़ुल्फ़िकार अली बुख़ारी का काव्य संग्रह ‘मैंने जो कुछ भी कहा’ के नाम से प्रकाशित हुआ. उन्होंने ‘सरगुज़िश्त’ नाम से अपनी आपबीती भी लिखी जो अपने दिलचस्प अंदाज़े बयां की वजह से बहुत लोकप्रिय हुई.
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