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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : हाजिर देहल्वी

प्रकाशक : कविराज रघुनन्दन सिंह साहिर

प्रकाशन वर्ष : 1951

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : ग़ज़ल

पृष्ठ : 129

सहयोगी : ग़ालिब अकेडमी, देहली

shaan-e-mahfil
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लेखक: परिचय

हाजिर देहलवी, रघुनाथ सिंह (1884-1922) देहली के एक खत्रीख़ानदान के चश्म-ओ-चराग़ थे। घराने के एक बुज़ुर्ग सरदार सिंह ‘हसीब से फ़ारसी और अरबी पढ़ी। कुछ दिन भोपाल में नौकरी की, फिर देहली आ कर हकीमी करने लगे जो ख़ानदानी पेशा था। फ़ारसी में भी शेर कहते थे। ड्रामे भी लिखे।

 

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