Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : तालिब बाग़पती

प्रकाशक : मुंशी हर प्रशाद

प्रकाशन वर्ष : 1936

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 278

सहयोगी : इब्तिदा. ओ.आर.जी

shakh-e-nabat
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक: परिचय

तालिब बागपती की गिनती क्लासिकी रंग की ग़ज़ल कहनेवाले प्रसिद्ध शायरों और श्रेष्ठ गद्यकारों में होती है. उन्होंने शायरी में जिगर मुरादाबादी और नुदरत मेरठी से लाभ उठाया और इश्क़ के सोज़ व गुदाज़ में डुबी हुई ग़ज़लें और नज़्में कहने लगे.
तालिब का असल नाम कुँवर लताफ़त अली खां था. 27 नवंबर 1903 को बागपत ज़िला मेरठ में पैदा हुए. मेरठ कालेज से एफ़.ए. की शिक्षा प्राप्त की. ‘कोई’ के छद्मनाम से ‘आलमगीर’ में हास्य लेखन किया. उनका यह मसखरापन उनकी शायरी में भी नज़र आता है. तालिब का काव्य संग्रह 1936 में ‘शाख-ए-नबात’ के नाम से प्रकाशित हुआ. 26 जुलाई 1984 को तालिब का देहांत हुआ.

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए