aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शमीम जयपुरी मुशायरों के बहुत ही लोकप्रिय शायर के रूप में जाने जाते हैं। उनका अनोखा तरन्नुम आज की कानों में रस घोलता है। जयपुर राजस्थान में 1933 में पैदा हुए। वहीं आरम्भिक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की। आरम्भिक दिनों से ही शायरी में रूचि थी इसलिए बहुत छोटी सी उम्र से ही शायरी करने लगे। अज़ीज़ आगाही की शागिर्दी इख़्तियार की और कलाम में परिपक्वता आती चली गयी।
शमीम जयपुर से मेरठ आ गये और यहीं स्थायी रिहाइश इख़्तियार कर ली। शमीम को यहाँ जिगर मुरादाबादी और तस्कीन क़ुरैशी से फ़ायदा उठाने का मौक़ा मिला। शमीम जयपुरी ने ग़ज़ल में उसी विशिष्ट क्लासीकी लहजे को निभाने की कोशिश की है जो जिगर की शायरी की पहचान है।