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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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पुस्तक: परिचय

غالبؔ کا نام اور کلام محتاج تعارف نہیں۔اردو زبان و ادب کے عظیم شاعر غالب اور کلام غالب ہمہ جہت خصوصیات کی وجہ سے ہر دور میں توجہ کا مرکز رہا ہے۔غالب اپنے ذاتی بحران کی حدود سے نکل کر عالمی سطح کے بحران تک پہنچتے ہیں۔جہاں ثقافتی، سماجی ،اقتصادی اور سیاسی انتشار ہے۔چناچہ ان کے کلام میں ذاتی ،ملکی موضوعات کے ساتھ ساتھ عالمی موضوعات بھی نظر آتے ہیں۔لیکن غالب کا اسلوب عام فہم نہیں ہے اسی لیے ایک عام قاری کے لیے غالب شناسی شرح کی محتاج ہے۔اسی ضرورت کے پیش نظر کلام غالب کی کئی شرحیں تخلیق ہوئی ہیں۔زیرنظر مولوی سید علی حیدر صاحب نظم طباطبائی کی مرتب کردہ شرح کلام غالب ہے۔ جس کو اہل اردو معتبر نگاہ سے دیکھتے ہیں۔

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लेखक: परिचय

नज़्म तबातबाई, सय्यद अ’ली हैदर (1852-1933) उर्दू के अ’लावा अ’रबी और फ़ारसी की गहरी महारत थी। अंग्रेज़ी भी जानते थे। पहले कलकत्ता में वाजिद अ’ली शाह के शहज़ादों को पढ़ाने का काम किया और फिर हैदराबाद पहुँचे जहाँ निज़ाम कालेज में उस्ताद मुक़र्रर हुए। ‘दारुत्तर्जुमा’ में अनुवाद का काम भी किया। उनकी किताब ‘शर्ह-ए-दीवान-ग़ालिब बहुत मशहूर हैं, जिस में उन्होंने ग़ालिब को समझने-समझाने का एक नया अंदाज क़ाएम किया है।

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