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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : फ़ारिग़ बुख़ारी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : आईना-ए-अदब, लाहाैर

मूल : लाहौर, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 1971

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 174

सहयोगी : सय्यद हैदर अब्बास रिज़वी

sheeshe ke pairahan
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लेखक: परिचय

फ़ारिग़ बुख़ारी का असली नाम अहमद शाह था। उनका जन्म 11 नवंबर 1917 को पेशावर में हुआ। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने पूर्वी भाषाओं की कई परीक्षाएं पास कीं। फ़ारिग़ बुख़ारी वैचारिक रूप से प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े थे, लेकिन इस वैचारिक जुड़ाव ने उनकी रचनात्मकता को सीमित नहीं किया। वह विषय, भाषा और काव्य रूपों में नए-नए प्रयोग करते रहे। उनका एक प्रमुख प्रयोग ग़ज़ल के फॉर्म में था। उन्होंने अपने काव्य संग्रह "ग़ज़लिया" में ग़ज़ल की शैली और तकनीक को एक नए अंदाज़ में इस्तेमाल किया।

फ़ारिग़ ने उर्दू साहित्यिक पत्रकारिता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे मासिक पत्रिका 'नग़्मा-ए-हयात' और साप्ताहिक 'शबाब' के संपादक रहे, और 'संग-ए-मील' नाम से एक साहित्यिक पत्रिका भी निकाली। 

फ़ारिग़ बुख़ारी की प्रकाशित कृतियाँ हैं: 'ज़ेर-ओ-बम', 'शीशे के पैरहन', 'ख़ुशबू का सफ़र', 'ग़ज़लिया', 'अदबियात-ए-सरहद', 'पश्तो के लोकगीत', 'सरहद के लोकगीत', 'बाचा ख़ान', 'पश्तो शायरी', 'रहमान बाबा के अफ़कार', 'जुर्रत-ए-आशिक़ाँ'।

फ़ारिग़ बुख़ारी को उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक सेवाओं के लिए पाकिस्तान सरकार ने 'सदारती तमग़ा बराए-हुस्न-ए-कारकर्दगी' से सम्मानित किया। 13 अप्रैल 1997 को पेशावर में उनका निधन हुआ।


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