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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : इज़हार असर

प्रकाशक : नूर जहाँ पब्लिकेशन्स, दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1955

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : नॉवेल / उपन्यास

पृष्ठ : 183

सहयोगी : गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी, पटना

shimona
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लेखक: परिचय

 

इज़हार असर पहलें ऐसे अदीब हैं जिन्होंने उर्दू में निरंतरता के साथ विज्ञान कथा लिखा है. ‘आधी ज़िन्दगी’, ‘मशीनों की बग़ावत’ और ‘बीस हज़ार साल बाद’ जैसे विज्ञान उपन्यास लिखकर उन्होंने उर्दू में विज्ञान- कथा की परम्परा को मज़बूत किया. उनकी शाइरी भी उनके ख्याल और सोच के इसी आयाम को व्यक्त करती है.
इज़हार असर किरतपुर बिजनौर में 15 जून 1927 को पैदा हुए थे. मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की और आजीविका की तलाश में लग गये. दिल्ली में रहकर एक लम्बे अर्से तक स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करते रहे. ‘बानो’ और ‘चिलमन’ जैसी पत्रिकाओं का सम्पादन किया. ‘हम क़लम’ के नाम से एक पाक्षिक निकाला और एक डाइजेस्ट भी प्रकाशित किया. इज़हार असर के जासूसी वैज्ञानिक और लोकप्रिय विषयों पर आधारित उपन्यासों की संख्या एक हज़ार के लगभग बताई जाती है.
15 अप्रैल 2011 को देहांत हुआ. 


 

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