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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : सिराज लखनवी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : निज़ामी प्रेस, लखनऊ

मूल : लखनऊ, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1960

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 193

सहयोगी : सौलत पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर (यू. पी.)

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पुस्तक: परिचय

سراج لکھنوی کا تعلق بیسویں صدی کے اوائل سے ہے۔ ان کے اس مجموعے میں ان کے تین ادوار کی غزلیں مجتمع ہوئی ہیں۔ جس میں پہلا دور 1918 سے 1940 تک ہے، دوسرا دور 1941 سے 1950 تک ہے اور تیسرا اور آخری دور 1951 سے 1960 تک عہد کو محیط ہے۔ سراج کا تعلق چونکہ لکھنؤ سے تھا اس لیے ان کی شاعری میں وہ گہرائی کم ہی سہی جو دلی کا امتیاز سمجھی جاتی ہے، لیکن ان کی شاعری میں برتی جانے والی زبان بہرحال اتنی رواں ہے جو ہر کسی کو اپنی جانب متوجہ کرتی ہے۔ وضعداری، رکھ رکھاؤ، نفاست چونکہ ان کے مزاح کا حصہ تھا اس لیے یہ تمام عناصر ان کی شاعری میں بھی در آئے ہیں۔ جہاں تک ان کی شعری زبان کا معاملہ ہے تو یہ لکھنؤ کی خالص ٹکسالی زبان ہے خاص طور سے ان کے پہلے دور کی شاعری تو اسی میں رنگی ہوئی ہے۔ حالانکہ یہ ان کا شعری اختصاص ہی ہے عام لکھنوی شعرا کے برعکس وہ محض زبان و بیان اور محاورے تک ہی محدود نہیں رہے ہیں۔ انہوں نے تخیل کی پرواز کا بھی سہارا لینے کی بھرپور کوشش کی ہے۔

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लेखक: परिचय

सिराज लखनऊ में पैदा हुए और लखनऊ के शे’री व अदबी परम्परा से फायदा उठाया लेकिन उनकी शाइरी लखनऊ के पारंपरिक विषयों और ज़बान व मुहावरे से आगे निकलीं हुई मालूम होती है. सिराज की ग़ज़लों में पारम्परिक विषय भी एक ताज़ा रचनात्मक अनुभव के रूप में उभरे हैं. इसके अलावा सिराज के यहाँ ज़िन्दगी का एक बिल्कुल अलग रचनात्मक बोध नज़र आता है.

सिराज 1894 में पैदा हुए. चर्च मिशन हाईस्कूल में शिक्षा प्राप्त की उसकेबाद कोआपरेटिव सोसाइटीज में मुलाज़िम हो गये और आजीवन इसी विभाग से सम्बद्ध रहे. 1960 को लखनऊ में देहांत हुआ.

 

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