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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अंक : 004

खंड संख्या : 15

प्रकाशक : ए. ए. रिज़वी

मूल : पटना, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1968

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 56

सहयोगी : सुंदरैया विग्नाना केन्द्रम, हैदराबाद

महीना : April

सुब्ह-ए-नौ
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संपादक: परिचय

वफ़ा मलिकपुरी की पहचान का मूल संदर्भ उनके मर्सिये हैं। उनके मर्सियों में पारंपरिक विषयों व आलेख के अलावा नये मामलात व समस्याओं की झलक भी मिलती है। वफ़ा का असल नाम सैयद अब्बास अली रिज़वी था। उनकी पैदाइश अगस्त 1923 को मलिकपुर दरभंगा में हुई। फ़ाज़िल की सनद हासिल की। 1935 से शायरी शुरू की।

वफ़ा ने मर्सिये के अलावा और दूसरे क्लासीकी विधाओं में भी रचना की। क़सीदा, मुसद्दस, रुबाई, क़ता, सलाम, नौहा, नज़्में और ग़ज़लें कहीं। वफ़ा की शायरी को आभा प्रदान करने में जमील मज़हरी की दीक्षा का बड़ा योगदान है। वफ़ा आख़िर तक अपना कलाम जमील मज़हरी को दिखाते रहे।

वफ़ा मलिकपुरी की शख़्सियत का एक अहम पहलू उनकी पत्रकारिता से सम्बंधित सेवाएं भी हैं। लगभग, 24 वर्ष तक वह पत्रकारिता से जुड़े रहे। उन्होंने एक पत्रिका ‘सुब्ह-ए-नौ’ के नाम से निकाला। उस पत्रिका ने नयी पीढ़ी के बौद्धिक प्रशीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया। वफ़ा मलिकपुरी का देहांत एक जून 2003 को पूर्णिया में हुआ।

 

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