aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शाद लखनवी, शेख़ मोहम्मद जान(1805-1899)लखनऊ के एक सम्मानित ख़ानदान का हिस्सा थे। शाइ’री में मीर तक़ी मीर के बेटे मीर कल्लू ‘अर्श’ को उस्ताद बनाया जिन्होंने उनको ‘पैरव-ए-मीर’ (मीर का अनुयायी) की उपाधि दी। रियासत महमूदाबाद से वज़ीफ़ा मिलता था जिसके लिए किसी ख़ास काम की शर्त नहीं थी।