aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अरशद जमाल सारम का ताल्लुक़ उतर प्रदेश के शहर आज़मगढ़ से है। वो 15 अगस्त 1978 को आज़मगढ़ में पैदा हुए। आरंभिक शिक्षा और फिर आलमियत जामिअत अलफ़लाह आज़मगढ़ से मुकम्मल की। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बी.यू.एम.एस की शिक्षा प्राप्त की और बैंगलोर से एम.डी की उच्च डिग्री प्राप्त की। फ़िलहाल आप मालेगांव के मुहम्मदिया तिब्बिया कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफ़ेसर के पद पर आसीन हैं।
अरशद जमाल सारम नई अदबी नस्ल के ऐसे नुमाइंदा शायर हैं जिनकी पूरी शायरी उनके तजुर्बे और अंदरून का बेशकीमती अभिव्यक्ति है। उनकी शायरी सरगोशी और ख़ुद-कलामी की शायरी है जिसमें आंतरिक घटनाओं का वर्णन भी है और बाहर के दुर्घटनाओं से भी उनकी चिंता जुड़ी हुई है। वो ग़ज़ल के कलात्मक तकनीक से अच्छी तरह परिचित हैं। उनके लहजे की शगुफ़्तगी और अभिव्यक्ति व वर्णन का आकर्षण उन्हें अपने समकालीनों में स्पष्ट करती है। उनकी शायरी में विविधता, नवीनता और ताज़गी भी जगह जगह मौजूद है। आपका पहला काव्य संग्रह सुख़न ज़ाद के नाम से प्रकाशित हो चुका है जिसे साहित्य जगत में बहुत सराहा गया है।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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