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प्रोफ़ेसर अख़लाक़ अहमद आहन जवाहरलालनेहरू यूनीवर्सिटी के फ़ारसी विभाग में पठन-पाठन से वाबस्ताहैं। पूर्व में जामियामिल्लिया इस्लामिया में पठन-पाठन कर चुके हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से बी.ए. ( भूगोल ऑनर्ज़) ,जवाहर लाल नेहरू यूनीवर्सिटी से एम-ए (फ़ारसी) और यहीं से आधुनिक फ़ारसी शायरी के विषय पर डॉक्टरेट उपाधि अर्जित की । इसके अतिरिक्ति इतिहास में एम.ए. और इंटरनेशनल सेंटर आफ़ कल्चरल रिलेशन्ज़,ईरान की जे़र-ए-सरपरस्ती तर्बिय्यत मुदर्रिस यूनीवर्सिटी, तेहरान से आधुनिक फ़ारसी में ऐडवान्स कोर्स किया। देश-विदेश में सेमीनार और शेरी-व-अदबी महफ़िलों में शिरकत की और विभिन्य पत्र-पत्रिकावों में लगातार प्रकाशित होते रहे हैं। उर्दू और फ़ारसी में शायरी के इलावा शोध एंव आलोचना के क्षेत्र में विशेष काम कर चुके हैं। अमीर ख़ुसरो,बेदिल और ख़य्याम के हवाले से इन के शोध एंव अनुसंधान महत्वपूर्ण समझे जाते हैं । इनको साहित्यिक योगदान के लिए इको, ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान कल्चर हाऊस,बिहार उर्दू अकैडमी और दिल्ली उर्दू अकैडमी ने सम्मानित किया है । इनके साहित्यिक कार्य पर ईरान के सहर टीवी चैनल ने डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाई । पुस्तकों में: मसाला-ए-तमसील दर अदबियात-ए-फ़ारसी, हिन्दोस्तान में फ़ारसी सहाफ़त की तारीख़, अमीर ख़ुसरोज़ इंडिया (अंग्रेज़ी), मक़ालात-ए-मौलाना अर्शी, आसफ़ी राम पूरी,मिर्ज़ा बेदिल आदि विशेष तौर से उल्लेखनिय हैं । फ़ारसी कलाम के साथ-साथ इनकी उर्दू शायरी भी फ़ारसी और पश्तो भाषा में अनुवाद हो चुके हैं।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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