aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मिर्ज़ा अज़ीम अहमद चुग़ताई का जन्म 20 दिसंबर 1928 को शाहजहाँपुर में हुआ था। वे शबनम तख़ल्लुस से लिखते हैं और शबनम रूमानी के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने 1948 में बरेली कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की और उसी वर्ष पाकिस्तान हिजरत कर गए। ग़ज़लों के अलावा, उन्होंने नज़्में, अफ़साने और शेर भी लिखे हैं। वे 1973 से मासिक पत्रिका ‘मशरिक़’ में नियमित रूप से एक कॉलम लिखते आ रहे हैं और ‘इक़दार’ नामक पत्रिका का प्रकाशन भी कर रहे हैं।
उनकी प्रसिद्ध किताबों में मसनवी सैर-ए-कराची, जज़ीरा (शेरी मजमूआ), हर्फ़-ए-निस्बत (नातिया मजमूआ), अरमुग़ान-ए-मजनूँ (जिल्द अव्वल-मुरत्तब), तोहमत और दूसरा हिमाला (शेरी मजमूआ) शामिल हैं।