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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : उमर ख़य्याम

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : अपने शाहजहानी प्रेस, दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1924

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी, अनुवाद

उप श्रेणियां : रुबाई, शायरी

पृष्ठ : 279

अनुवादक : सैय्यद मोहम्मद लईक़ हुसैन

सहयोगी : सौलत पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर (यू. पी.)

taaj-ul-kalam
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लेखक: परिचय

अपनी किताब रुबाइयात के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध| ख्याति-प्राप्त शाइर होने के साथ साथ बड़े गणितज्ञ भी थे . फिट्जगेराल्ड द्वारा इनकी रुबाइयात के अनुवाद के बाद इनका नाम मशरिक और मग़रिब दोनों में मक़बूल हो गया | मौलाना रूमी की मसनवी के बाद सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में रुबाइयात का शुमार होता है| कहा जाता है कि किसी वक़्त सूफ़ी ख़ानक़ाहों में आने वाले नवागंतुक विद्यार्थियों को उमर ख़य्याम की रुबाइयात पढ़ने के लिए दी जाती थी और उनसे पूछा जाता था कि आपने क्या समझा ? नवागंतुक के उत्तर पर यह निर्भर करता था कि उसे ख़ानक़ाह में प्रवेश मिलेगा अथवा नहीं | भारत में रुबाइयात का हिंदी अनुवाद प्रसिद्ध हिंदी कवि श्री हरिवंश राय बच्चन साहेब ने ख़य्याम की मधुशाला के नाम से किया है| इनकी रुबाइयात से प्रेरित होकर ही उन्होंने बाद में मधुशाला लिखी जो हिंदी की एक अमर कृति है | ख़य्याम की इच्छा थी कि उनकी क़ब्र ऐसी जगह पर बने जहाँ पेड़ साल में दो बार फूल बरसाया करें| उनकी यह इच्छा भी पूर्ण हो गयी| इनकी दरगाह निशापुर में है जहाँ शेफ़्तालू और नाशपाती के पेड़ साल में दो दफ़ा फूल बरसाते हैं |
प्रमुख रचना रुबाइयात है .

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