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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अंदलीब शादानी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : जलील अकेडमी, बरेली

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : शायरी तन्क़ीद, आलोचना

पृष्ठ : 429

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

तहक़ीक़ात
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पुस्तक: परिचय

پیش نظر ڈاکٹر عندلیب شادانی کی تحقیقی موضوعات پر مبنی کتاب "تحقیقات" ہے۔ جو اصناف نثر، اصناف نظم اور دیگر شعرا کے کلام سے متعلق تحقیقی و تنقیدی مضامین پر مشتمل ہے۔ ان مضامین میں "آزاد نظم، مختصر افسانہ، میر کے کلام کے خاص رنگ، جوش اور خواجہ حافظ کے کلام کی لسانی خصوصیات، ایران کی امرد پرستی کا اثر اردو شاعری پر، فارسی شاعری اور جفائے محبوب وغیرہ جیسے ادبی موضوعات کے علاوہ تاریخ کے اہم کردار رضیہ سلطان اورالتمیش کے متعلق بھی مصنف کی اہم تحقیقات شامل کتاب ہیں۔

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लेखक: परिचय

अंदलीब शादानी की गिनती उर्दू के लोकप्रिय रूमानी शायरों में होता है. वह अपनी शायरी के अति रूमानी फ़िज़ा की वजह से बहुत लोकप्रिय और मशहूर हुए. शायरी के अलावा उन्होंने कहानियां और समालोचनात्मक व जीवनपरक आलेख भी लिखे.
एक मार्च 1904 को पैदा हुए. वतन संभल ज़िला मुरादाबाद था. पंजाब यूनिवर्सिटी से फ़ारसी साहित्य में एम.ए. किया और 1934 में लंदन यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. कुछ समय तक हिन्दू कालेज दिल्ली में उर्दू-फ़ारसी के लेक्चरर रहे, उसकेबाद ढाका यूनिवर्सिटी में लेक्चरर नियुक्त हुए. 29 जुलाई 1969 को ढाका में देहांत हुआ.
उनका काव्य संग्रह  ‘निशात-ए-रफ़्ता’ के नाम से प्रकाशित हुआ. उनकी दूसरी कृतियों के नाम हैं: ‘नक्श-ए-बदीअ’ ‘उर्दू ग़ज़लगोई और दौरे हाज़िर’ ‘सरोद-ए-रफ़्ता, ‘सच्ची कहानियां’ ‘शरह रुबाईयात बाबा ताहिर’ ‘नोश व नीश तहक़ीक़ की रौशनी में’ ‘जदीद फ़ारसी ज़बान में फ़्रांसीसी के असरात’. अंदलीब शादानी ने ‘ख़ावर’ के नाम से एक अदबी रिसाला भी निकाला. उस रिसाले के ज़रिये ढाका में उर्दू अदब व शायरी के हवाले से एक नई जागृति आई.

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