aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
شعریات میں تخلیق، تخئیل اور استعارہ کا استعمال شعوری یا لاشعوری طور پر ہوتا ہی ہے۔اس کے استعمال سے شعریات پراثر، معنی خیز اور دلچسپ ہوجاتے ہیں۔پیش نظرمعید رشیدی کی اسی موضوع پر اہم کتاب "تخلیق ،تخئیل اور استعارہ" ہے۔رشدی نئی نسل کے زیرک اور تخلیقی ذہن رکھنے والے ادیب ہیں۔ادب مبادیات اور اس کی بوطیقا کے وہ اوراق جو تخلیق،تخئیل اور استعارے کےجو بھید ہیں ان کی گرہ کشائی اور فہم معید رشیدی نے اس کتاب میں کی ہے۔بقول زبیر رضوی"کنایہ، تمثیل،استعارہ،جیسے مباحث پر لکھتے ہوئے معید رشیدی نے درمیان سے سرا نہیں پکڑا ،وہ ادب فہمی کے مختلف مرحلوں پر اپنے سرچشموں کی طرف واپس آجاتے ہیں۔اس سلسلے میں ان کی تفہیم کا رویہ خاصہ مستحکم اور روشن ہے۔"
मुईद रशीदी की पैदाइश काँकीनारा (उत्तर कलकत्ता) में 1988 को हुई । वो हमारे युग के नए विचारों के शायर हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्सिटी से एम.ए किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल की उपाधि प्राप्त की। अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी ने 'जदीद ग़ज़ल की शेरियात’ पर उन्हें (बहैसियत उस्ताद)पी.एचडी की उपाधि प्रदान की। वो तीन साल तक ऑल इंडिया रेडियो के दिल्ली स्टेशन से उद्घोषक के रूप में जुड़े रहे। उन्होंने तीन साल तक क़ौमी कौंसिल बराए फ़रोग़ उर्दू ज़बान, नई दिल्ली में रिसर्च अस्सिटेंट के रूप में अपनी सेवाएं दीं। सन्2013 में उन्हें साहित्य अकादेमी दिल्ली, ने अपने युवा साहित्य पुरस्कार से नवाज़ा। वो छः किताबों के लेखक हैं। 'तख़्लीक़, तख़य्युल और इस्तआरा’ उनकी प्रसिद्धि की असल वजह बनी। मोमिन ख़ां मोमिन पर उनकी किताब को अकादमिक हलक़ों में महत्व दिया गया और उस पुस्तक ने विश्वविद्यालयों में विश्वसनीयता प्राप्त की। रेख़्ता फ़ाउंडेशन ने उनका काव्य संग्रह ‘आख़िरी किनारे पर’ (उर्दू में) और ‘इश्क़’(हिन्दी में) प्रकाशित किया है। वो हिंदुस्तान और हिंदुस्तान से बाहर कई मुशायरों में शिरकत कर चुके हैं। वर्तमान में वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के उर्दू विभाग से सम्बद्ध हैं और पठन पाठन के कर्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं।
मुईद रशीदी की शायरी विभिन्न प्रकार के तजुर्बात, अनुभवों, भावनाओं और संवेदनाओं की विविधता में अंधकार को प्रकाश का संदर्भ बनाती है। व्यक्तित्व की पेचीदगियों में उतरकर ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज करती है। बाह्य और अंतःकरण के मेल से रचनात्मक संसार बनता है जिसकी बुनियादें शब्द और उसके सम्बंध, मायने और उसके रहस्य प्रदान करते हैं।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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