aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
तस्लीम लखनवी, अहमद हुसैन उर्फ़ अमीरुल्लाह (1819-1911)फ़ैज़ाबाद के थे मगर ज़िंदगी लखनऊ में गुज़री। नवाब मोहम्मद अ’ली शाह के ज़माने में फ़ौजी नौकरी में रहे। कुछ दिन बा’द बेरोज़गार हो गए तो रामपुर पहुँचे। वहाँ काम नहीं मिला तो वापस आए और मुंशी नवल किशोर की प्रेस में काम करने लगे। दोबारा रामपुर गए और एक अच्छी नौकरी पर लग गए। ये नौकरी गई तो फिर किसी और जगह रह कर फिर रामपुर पहुँचे जहाँ चालीस रूपए माहाना की पेंशन मुक़र्रर हुई। अख़िरी साँस लखनऊ में ली।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets