aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
श्रीमद भागवत हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित ग्रंथों में से एक है, जिसे वेदों और उपनिषदों के बाद सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। इसका मूल नाम भागवत पुराण है, लेकिन यह अधिकतर श्री मद भागवत के नाम से जाना जाता है। यह ग्रंथ भगवान विष्णु के अवतारों, विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के अवतार, और उनके दिव्य लीला (क्रीडाओं) का वर्णन करता है। इस ग्रंथ का मूल संदेश भगवान के भक्तों के प्रति गहरी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण है।यह ग्रंथ 18 स्कंधों में विभक्त है, जिनमें से दसवां स्कंध सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन की प्रमुख घटनाओं का विवरण मिलता है—जैसे उनका बचपन, राधा के साथ रास लीला, गोवर्धन पर्वत को उठाने का चमत्कार, कंस का वध और भगवद गीता के उपदेश। यह ग्रंथ ज्ञान, भक्ति और कर्म के सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है, जो पाठकों को आत्मिक शांति और मोक्ष की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।श्री मद भागवत का सार शुद्ध भक्ति में निहित है। यह सिखाता है कि जीवन का असली उद्देश्य भगवान के साथ गहरे, सच्चे प्रेम और संबंध को स्थापित करना है, और सांसारिक इच्छाओं से ऊपर उठकर आत्मिक शांति प्राप्त करना है।श्री मद भागवत सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि एक गहन दर्शन है, जो जीवन के सत्य, नैतिकता और प्रेम की शक्ति पर प्रकाश डालता है। इसके उपदेशों के माध्यम से व्यक्ति आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है और भगवान के साथ एक गहरा संबंध स्थापित कर सकता है।श्री मद भागवत का उर्दू अनुवाद 1874 में मुंशी रघुबर दयाल द्वारा किया गया था, जिसे मतबा मुंशी नवल किशोर ने प्रकाशित किया। यह अनुवाद उर्दू पाठकों तक इस महान ग्रंथ की आत्मिक और दार्शनिक जानकारी पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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