aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
قائم چاند پوری کے تذکرہ "مخزن نکات" کو اردو شعرا کے قدیم تذکروں میں شمار کیا جا تا ہے۔ "نکات الشعرا" اور "تذکرۂ ریختہ گویاں" کے بعد یہ تیسرا تذکرہ ہے۔ اسپرینگر نے قدیم ہندوستانی ادب کی تاریخ لکھنے کے سلسلے میں "مخزنِ نکات" کو سب سے اہم مآخذ قرار دیا ہے۔ اس تذکرہ میں ہر دور کے شعراء کا حال الگ الگ لکھا ہے جو مستند سمجھا جاتا ہے۔ نیز قائم نے اردو شاعری کے ادوار یا طبقات متعین کر کے تذکرے اور تاریخِ ادب میں باہم ربط قائم کیا۔ یہی وجہ ہے کہ اردو ادب کی تاریخ مرتب کرنے میں جتنی راہ نمائی اس تذکرہ سے مل سکتی ہے، کسی دوسرے معاصر تذکرے سے نہیں ملتی۔
अठारहवीं सदी के मुम्ताज़ शाइ'रों की सफ़-ए-अव्वल में शामिल हैं। ‘क़ाएम’ चाँदपुरी की पैदाइश तक़रीबन 1725 में क़स्बा चाँदपुर, ज़िला बिजनौर के क़रीब 'महदूद' नाम के एक गाँव में हुई थी लेकिन बचपन से दिल्ली में आ रहे और अपने तज़्किरा ‘मख़्ज़न-ए–निकात’ की तारीख़-ए-तसनीफ़ या'नी 1755 तक शाही मुलाज़मत के सिलसिले से दिल्ली में रहे। दिल्ली की तबाही और हालात की ना-साज़गारी से बद-दिल होकर दिल्ली से टांडा पहुँचे। जब यहाँ के हालात भी अबतर हो गए तो उन्हें मजबूरन टांडा भी छोड़ना पड़ा। इस तरह उ’म्र भर रोज़गार की तलाश में हैरान-ओ-परेशान वो एक शहर से दूसरे शहर में फिरते रहे, आख़िर 1780 में रामपुर चले गए जहाँ 1794 में क़ैद-ए-हयात से नजात पाई।
इस्लाह-ए-शे'र-ओ-सुख़न के सिलसिले में 'क़ाएम' सब से पहले शाह हिदायत की सोहबत से फ़ैज़-याब हुए उसके बा’द पहले ख़्वाजा मीर 'दर्द' और फिर मोहम्मद रफ़ीअ’ 'सौदा' के शागिर्द हुए।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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