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पुस्तक: परिचय

کنور مہند رسنگھ بیدی ہندوستانی شاعر تھے اور سحر تخلص کرتے تھے۔کنور مہندر سنگھ بیدی سحر ؔکی شاعری کا مطالعہ اُن کے نشاطیہ انداز ِفکر کی تائید کرتا ہے ،قنوطیت اور مایوسیوں سے ان کی حیات کو کوئی واسطہ نہیں رہا۔وہ اپنی حاضر جوابی اور اعلیٰ ظرافت کے لئے آج بھی یاد کئے جاتے ہے ،پندره سال کی عمر سے شعرکہنا شروع کر دیا تھا .اردو اکادمی دہلی سے اس کے قیام کے زمانے ہی سے منسلک رہے اور اس کے وائس چیئرمین بھی رہے۔انھوں نے لافانی اشعار حضور پاک صلی اللہ علیہ و آلہ وسلم کی شان میں بھی کہے۔ سحرؔ ایک ہر دل عزیز شاعر ہونے کے ساتھ ساتھ ایک خوش اخلاق شخصیت کے مالک بھی تھے۔خوش مزاجی اور طنزو ظرافت ان کی شخصیت میں کوٹ کوٹ کر بھری ہوئی تھی۔وہ ہر محفل کو قہقہہ زار بنانے کابہترین ہنر جانتے تھے۔ ہر طرح کی مجلس میں لوگوں کومتاثر کرنے کی صلاحیت رکھتے تھے۔ زیر نظر کتاب ان کاپہلا شعری مجموعہ ہے جو کہ 1960 ء میں منطر عام پر آیا۔

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लेखक: परिचय

नाम कुँवर महेन्द्र सिंह बेदी, तख़ल्लुस 'सहर' लोकप्रिय शाइर और उर्दू शाइरी और तहज़ीब की नफ़ासत का बेहतरीन नमूना। कई सरकारी विभागों में ऊँचे पदों पर रहे मगर अस्ल ज़िन्दगी शाइरी और शाइर-नवाज़ी में गुज़री। उनका जन्म 9 मार्च 1909 को मन्टगुमरी, साहीवाल (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। 1919 से 1925 तक उन्होंने चीफ़्स कॉलेज, लाहौर में शिक्षा प्राप्त की। चीफ़्स कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में दाख़िला लिया। उन्होंने इतिहास और फ़ारसी विषयों के साथ बी.ए. किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद आई.सी.एस. की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हो सके। उनकी पहली नियुक्ति लायलपुर में हुई। वहाँ जुलाई 1934 से दिसंबर 1935 तक रहे। इस दौरान उन्होंने रेवेन्यू की ट्रेनिंग ली और विभागीय परीक्षाएँ पास कीं। 1935 के अंत में उनका तबादला फ़र्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के रूप में रोहतक में हो गया। वे गुड़गाँव में डिप्टी कमिश्नर भी रहे। लगभग 33 साल की नौकरी के बाद वे 1967 में पंचायती विभाग के निदेशक के पद से रिटायर हुए।

कुँवर महेन्द्र सिंह बेदी बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उनके सभी शौक़ों में सबसे प्रिय शौक़ शायरी था। वे किसी के शागिर्द नहीं थे। उनकी शायरी की उम्र लगभग सात साल रही। उनकी शख़्सियत कई पहलुओं वाली थी। वे दिल्ली के ग़ालिब इंस्टिट्यूट और देहली तरक़्क़ी उर्दू बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रहे। उनका निधन 18 जुलाई 1992 को दिल्ली में हुआ। उनकी प्रमुख रचनाओं के नाम हैं: 'यादों का जश्न' (आत्मकथा), 'कलाम-ए-कुँवर महेन्द्र सिंह बेदी 'सहर' (चयन एवं संपादन: अहमद फ़राज़)
 उनकी साहित्यिक सेवाओं के सम्मान में एक पुरस्कार भी दिया जाता है, जिसे “कुँवर महेन्द्र सिंह बेदी पुरस्कार” के नाम से जाना जाता है। यह पुरस्कार हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा प्रदान किया जाता है।

 

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