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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : रौनक़ नईम

प्रकाशक : शब ख़ून किताब घर, इलाहाबाद

मूल : इलाहाबाद, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2000

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 135

सहयोगी : बज़्म-ए-सदफ इंटरनेशनल

udas jangal mein
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लेखक: परिचय

प्रगतिशील आन्दोलन से सम्बद्ध विशिष्ट महत्व के शायरों में से हैं। उन्होंने न सिर्फ़ प्रगतिवादी विचारधारा को आम करने वाली शायरी की बल्कि आन्दोलन के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अवाम के बीच काम भी किया।

रौनक़ नईम की पैदाइश 1933 में सिवड़ी पश्चिम बंगाल में हुई। रौनक़ के पिता बांगला भाषा में शायरी करते थे। चचा मुहम्मद इकराम अशरफ़ी और मौसा अब्बास अली ख़ाँ उर्दू के शायर थे। रौनक़ ने आरम्भ में अपने मौसा से ही कलाम का संशोधन कराया। रौनक़ ने जिस वक़्त शायरी शुरू की प्रगतिशील आन्दोलन अपने शिखर पर था। अतः उन्होंने इसकी विचारधारा से प्रभावित हो कर पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध और एक आधुनिक समाज के पस में नज़्में लिखीं। उनकी नज़्में और गज़लें आन्दोलन की मुखपत्रिका शाहराह और सज्जाद ज़हीर के साप्ताहिक अवामी दौर में नियमित रूप से प्रकाशित होती थीं।

रौनक़ नईम के कई काव्य संग्रह प्रकाशित हुए, कुछ के नाम ये हैं— दायरा दर दायरा, पानी बहता जाए, समन्दर बोलता है’, ‘उदास जंगल

प्रसिद्ध प्रगतिवादी शायर और आन्दोलन के सक्रिय सदस्य

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