aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अंजुम फ़ौकी एक अच्छे शायर और गद्यकार के रूप में जाने जाते हैं. 11 जनवरी 1911 को बदायूं में पैदा हुए. आरम्भिक शिक्षा घर पर हुई. कलकत्ता और अलीगढ़ में तिब (चिकित्साशास्त्र) की शिक्षा प्राप्त की. 1957 में कराची प्रवास कर गये.वहां शायरी में फ़ौक सब्ज़वारी के शागिर्द हुए और कई माह्नामों का सम्पादन किया. अंजुम बदायूं के ‘फ़ौकी’ सिलसिले से ताल्लुक़ रखते थे.
अंजुम फ़ौकी की शायरी क्लासीकी रंग-ढंग की है, इसके बावजूद उनके युग की सामाजिक चेतना उसमें झलकती महसूस होती है. उनके दो काव्य संग्रह ‘उजाले’ और ‘मेहर व माह’ के नाम से प्रकाशित हुए. ‘मुखातिबात,’ ‘मुकाशिफ़ात,’ ‘मुलाहिज़ात,’ ‘मुआमलात,’ ‘फ़िक्र व फन,’ (अलंकारिक शब्दावलियों) और ‘इन्किशाफ़’ (पत्र) उनकी गद्य की किताबें हैं. उनकी शायरी और पत्रों का अंग्रेज़ी अनुवाद ‘विज़न’ के नाम से प्रकाशित हुआ. 11 अगस्त 1995 को कराची में देहांत हुआ.
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