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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : हयात वारसी

प्रकाशक : आल इंडिया हिन्दी उर्दू संगम, लखनऊ

प्रकाशन वर्ष : 1974

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी

पृष्ठ : 327

सहयोगी : ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली

uttar pardesh ke urdu shora
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लेखक: परिचय

लखनऊ के जिन शायरों ने देश में और देश से बाहर होने वाले मुशायरों में अपार लोकप्रियता और शोहरत हासिल की, हयात वारसी उन्हीं में से एक हैं। जुलाई 1936 में लखनऊ में पैदा हुए। सैयद मुहम्मद सिराज वारसी नाम था, हयात तख़ल्लुस था। उनके पिता सैयद मेराज रसूल मेराज वारसी साहिब-ए-दीवान शायर थे। उन्हीं की देखरेख में आरम्भिक शीक्षा-दीक्षा प्राप्त की। पिता की दीक्षा और लखनऊ के काव्यात्मक परिवेश ने उन्हें भी शायरी की तरफ़ उन्मुख कर दिया और शे’र कहने लगे। प्रसिद्ध शायर सिराज लखनवी से त्रुटियाँ ठीक कराईं। स्थानीय बैठकों और मुशायरों में सम्मिलित होने लगे, जहाँ उन्हें अपने ख़ूबसूरत तरन्नुम और मुशायरों की तत्कालीन शायरी की वजह से स्वीकृति प्राप्त की। धीरे-धीरे देश व देश से बाहर होने वाले मुशायरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाने लगे।

हयात वारसी के कई काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं: ‘आहंग-ए-ख़याल’, ‘सहबा-ए-हरम’, ‘आईना-ए-जमाल’, ‘उजालों के सफ़र’, ‘फूल जुदा हैं गुलशन एक’, ‘आहंग’, ‘आहटें’ वग़ैरह। इनका देहांत 1991 को लखनऊ में हुआ।

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