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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अनवर साबरी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : साबरी बुक डिपो, देवबंद

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1958

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी

पृष्ठ : 225

सहयोगी : दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरीम, देहली

vo jinhen koi nahi janta
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पुस्तक: परिचय

زیر نظر "وہ جنہیں کوئی نہیں جانتا" علامہ انور صابری کا تذکرہ ہے۔ اس تذکرے میں ان شعرا کا ذکر کیا گیا ہے جو بہت ہی کم معروف ہو سکے یا یوں کہا جائے کہ وہ گمنام رہے، ان میں سے بعض اپنے علاقے یا مخصوص خطہ تک ہی محدود ہوکر رہ گئے جس سے ان کی شعری صلاحیتوں پر نہ ہی بات کی گئی اور نہ ہی ان کی شاعری پر توجہ دی جا سکی اور وہ شعرا گمنامی کے گپ اندھیروں میں چلے گئے۔ اس تذکرے میں ایسے ہی شعرا کی حیات اور ان کے کارناموں کو اجاگر کرنے کی کوشش کی گئی ہے تاکہ ان کو گمنامی سے بچایا جائے اور ایک مثبت رائے دیکر انہیں ایک ایسا اسٹیج دیا جائے جس سے ان کی شناخت تا دیر قائم رہ سکے۔ بطور نمونہ کلام بھی پیش کیا گیا ہے۔ علامہ انور صابری کا طرز اسلوب بہت دلکش ہے۔

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लेखक: परिचय

अनवर साबरी, अली शाह (1901-1985 ) मशहूर इस्लामी विद्वान जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में सरगर्म हिस्सा लिया। मिज़ाज सूफ़ियाना था जिसकी झलक उन की शाइरी में नुमायाँ है। पाक पट्टन (पंजाब) में पैदा हुए मगर ज़िन्दगी देवबंद (उत्तर प्रदेश) और देहली में गुज़री।

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