by मुज़फ्फर अली सय्यद
yadon ke sargam
Namwar Logo Ke Dilchasp Aur Maloomat Afza Khake
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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मुज़फ़्फ़र अली सय्यद उर्दू के मारूफ़ नक़्क़ाद, मुहक़्क़िक़ और मुतर्जिम हैं। मुज़फ़्फ़र अली सय्यद अमृतसर में 6 दिसंबर 1929 को पैदा हुए थे। उनकी तसानीफ़ में तन्क़ीद की आज़ादी और तराजुम में फ़िक्शन, फ़न और फ़लसफ़ा और पाक फ़िज़ाईया की तारीख़ के नाम शामिल हैं। इसके इलावा उन्होंने मुशफ़िक़ ख़्वाजा के कालमों के तीन मजमुए “ख़ामा-बगोश के क़लम से”, “सुख़न दर सुख़न” और “सुख़न हाए गुफ़्तनी” के नाम से मुरत्तिब किए। मुज़फ़्फ़र अली सय्यद ने 28 जनवरी 2000 को लाहौर में वफ़ात पाई। वो लाहौर में कैवलरी ग्राऊंड क़ब्रिस्तान में आसूदा-ए-ख़ाक हैं