aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
‘कह-मुकरनी’ का अर्थ है ‘कहकर मुकर जाना’ यानी अपनी बात से पलट जाना। ये लघु कविताएँ लिखने की एक विशेष शैली है। इसमें एक महिला अपनी सखी से कुछ बातें कहती है, जो पति के बारे में भी हो सकती हैं और एक अन्य वस्तु के बारे में भी। जब उसकी सखी कहती है कि क्या तुम अपने पति की बात कर रही हो? तो वह कहती है, ‘नहीं, मैं तो उस वस्तु की बातें कर रही हूँ।’ यही ‘कह-मुकरनी’ है। इस का आविष्कार अमीर खुसरो ने किया था। कह-मुकरनियों को पढ़ने के लिए रेख़्ता के इस संकलन को ज़रूर देखें।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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