aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मसनवी का शाब्दिक अर्थ 'दो' होता है। यह काव्य का ऐसा रूप है, जिसके हर शेर के दोनों मिस्रे एक ही 'रदीफ़'[1] और 'क़ाफ़िए' में होते हैं। हर शेर का रदीफ़ और क़ाफ़िया आपस में अलग-अलग भी हो सकता है। इसलिए मसनवी में शायर को क्रमबद्ध विषय वर्णन में बड़ी आसानी होती है। सभी प्रकार की मसनवियों का आनंद लेने के लिए यहां क्लिक करें।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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