अदा में बाँकपन अंदाज़ में इक आन पैदा कर
अदा में बाँकपन अंदाज़ में इक आन पैदा कर
तुझे माशूक़ बनना है तो पूरी शान पैदा कर
कहाँ का वस्ल कैसी आरज़ू ऐ दिल वो कहते हैं
न मैं हसरत करूँ पूरी न तू अरमान पैदा कर
हमारा इंतिख़ाब अच्छा नहीं ऐ दिल तो फिर तू ही
ख़याल-ए-यार से बेहतर कोई मेहमान पैदा कर
मुझे है रश्क उस को भी रक़ीब अपना समझता हूँ
न देखे जो तुझे ऐसा कोई दरबान पैदा कर
ख़याल-ए-ज़ब्त-ए-उल्फ़त है तो 'अहसन' फिर ख़तर कैसा
न धड़के दिल भी सीने में वो इत्मीनान पैदा कर
- पुस्तक : Nuquush Lahore (पृष्ठ 319)
- रचनाकार : Mohd Tufail
- प्रकाशन : Idara Farog-e-urdu, Lahore (Feb.1956)
- संस्करण : Feb.1956
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