बहुत कहा था सुख़न-वरों में गुज़र न करना
बहुत कहा था सुख़न-वरों में गुज़र न करना
बहुत कहा था कि बात सुनना मगर न करना
बहुत कहा था कि डूबने का है डर ज़ियादा
बहुत कहा था कि पानियों का सफ़र न करना
बहुत कहा था कि तुम अकेले न रह सकोगे
बहुत कहा था कि हम को यूँ दर-ब-दर न करना
बहुत कहा था वो तुम को पहचानता नहीं है
बहुत कहा था तुम उस को अपनी ख़बर न करना
बहुत कहा था कि राबतों को दराज़ रखना
बहुत कहा था मोहब्बतें मुख़्तसर न करना
बहुत कहा था कि इश्क़ आख़िर तो इश्क़ ठहरा
बहुत कहा था किसी को इस की ख़बर न करना
बहुत कहा था ज़मीं से रिश्ता न 'तूर' टूटे
बहुत कहा था फ़लक को ज़ेर-ए-असर न करना
- पुस्तक : Esbaat (01) (rekhta website) (पृष्ठ 102)
- संस्करण : 2008
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