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इन आँखों से आब कुछ न निकला

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

इन आँखों से आब कुछ न निकला

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

MORE BYमुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

    इन आँखों से आब कुछ निकला

    ग़ैर-अज़ ख़ूँ-नाब कुछ निकला

    बोसे का क्या सवाल लेकिन

    उस मुँह से जवाब कुछ निकला

    बाहम हुई यूँ तो दीद-वा-दीद

    पर दिल का हिजाब कुछ निकला

    जुज़ तेरी हवा के अपने सर में

    मानिंद-ए-हबाब कुछ निकला

    करता था बहुत सा मुझ पे दा'वा

    पर वक़्त-ए-हिसाब कुछ निकला

    सीने में जो दिल की की तफ़ह्हुस

    जुज़ दूद-ए-कबाब कुछ निकला

    हम समझे थे जिस को 'मुसहफ़ी' यार

    वो ख़ाना-ख़राब कुछ निकला

    स्रोत :
    • पुस्तक : Ghazal Usne Chhedi(2) (पृष्ठ 54)
    • रचनाकार : Farhat Ehsas
    • प्रकाशन : Rekhta Books (2017)
    • संस्करण : 2017

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