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इतना देखा चलते चलते

सय्यद अहसन जावेद

इतना देखा चलते चलते

सय्यद अहसन जावेद

MORE BYसय्यद अहसन जावेद

    इतना देखा चलते चलते

    राख हुआ घर जलते जलते

    आना है तो भी जाओ

    शाम ढलेगी ढलते ढलते

    मंज़िल अपनी दूर है लेकिन

    मिल जाएगी चलते चलते

    शम्अ ने परवानों के ग़म में

    रात गुज़ारी जलते जलते

    आँखों में जितने आँसू थे

    मोती बन गए ढलते ढलते

    'अहसन' क्यूँ तुम ग़म खाते हो

    ग़म तो टलेंगे टलते टलते

    स्रोत :
    • पुस्तक : Shora-e-London (पृष्ठ 18)
    • रचनाकार : Jauhar Zahiri
    • प्रकाशन : Books From India (U.K) Ltd. 45, Museum Street, Londan W.C-1 (1985)
    • संस्करण : 1985

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