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मतलब के लिए हैं न मआनी के लिए हैं

महताब हैदर नक़वी

मतलब के लिए हैं न मआनी के लिए हैं

महताब हैदर नक़वी

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    मतलब के लिए हैं मआनी के लिए हैं

    ये शेर तबीअत की रवानी के लिए हैं

    वो चश्म अगर सेहर-बयानी के लिए है

    ये लब भी मिरी तिश्ना-दहानी के लिए हैं

    जो मेरे शब-ओ-रोज़ में शामिल ही नहीं थे

    किरदार वही मेरी कहानी के लिए हैं

    ये दाग़ मोहब्बत की निशानी के अलावा

    इश्क़ तिरी मर्सिया-ख़्वानी के लिए हैं

    आती है सुकूत-ए-सहर-ओ-शाम की आवाज़

    दर-अस्ल तो हम नक़्ल-ए-मकानी के लिए हैं

    जो रंग गुल लाला नस्रीं से हैं मंसूब

    वो रंग अब आशुफ़्ता-बयानी के लिए हैं

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