प्यार ईसार वफ़ा शेर-ओ-हुनर की बातें
रोचक तथ्य
त्रैमासिक अदब -ए- लतीफ़, लाहौर 2008
प्यार ईसार वफ़ा शेर-ओ-हुनर की बातें
अब तो लगती हैं किसी और नगर की बातें
कोई सूरत न रिहाई की बनी तो जाना
हम तो दीवार से करते रहे दर की बातें
वक़्त आया तो ज़बानों को भी जुम्बिश न हुई
लोग करते थे बहुत तेग़ की सर की बातें
ये हैं मग़रूर परिंदे उन्हें डरने दो अभी
बैठ जाएँगे अगर छेड़ दें घर की बातें
ख़ाक से जोड़ लिया है वो तअ'ल्लुक़ कि हमें
रास आती नहीं शम्स-ओ-क़मर की बातें
पाँव रेशम के गदीलों से उतरते ही नहीं
और हर-वक़्त हैं काँटों पे सफ़र की बातें
आसमाँ देख के 'शाहीन' ये दिल चाहता है
कोई करता रहे पर्वाज़ की पर की बातें
- पुस्तक : Alami Urdu Adab, Jild 27 (पृष्ठ 151 (e)152)
- रचनाकार : Nand Kishor Vikram
- प्रकाशन : Publishers and Advertisers, Krishn Nagar, Delhi, (October 2008)
- संस्करण : October 2008
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