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उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

ज़फ़र ताबाँ

उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

ज़फ़र ताबाँ

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    उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

    हाए वो मस्ती-ए-सहर हाए वो बे-ख़ुदी-ए-शाम

    पहले मआल सोच लें हम-सफ़रान-ए-सुस्त-गाम

    मेरी सरिश्त में नहीं ख़्वाहिश-ए-मंज़िल-ओ-मक़ाम

    ताइर-ए-ख़स्ता-बाल को दाम भी कुंज-ए-आशियाँ

    मुर्ग़-ए-चमन-नवर्द को गोशा-ए-आशियाँ भी दाम

    अब भी ख़ुदा-परस्त है दैर-ओ-हरम की क़ैद में

    हाए निगाह-ए-ना-रसा हाए मज़ाक़-ए-ना-तमाम

    कैफ़-ए-नज़र की मस्तियाँ अहल-ए-नज़र से पूछिए

    जैसे कोई पिला गया बादा-ए-मुश्क-बू के जाम

    ख़ूबी-ओ-शान-ए-दिलबरी ग़मज़ा-ए-नाज़ ही नहीं

    हुस्न में वो अदा भी है जिस का नहीं है कोई नाम

    स्रोत :
    • पुस्तक : Noquush (पृष्ठ B-338 E-346)
    • प्रकाशन : Nuqoosh Press Lahore (May June 1954)
    • संस्करण : May June 1954

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