उस के कूचे सती ग़ुबार उठा
उस के कूचे सती ग़ुबार उठा
कौन सा वाँ से ख़ाकसार उठा
अंदलीबो बसा लो अब सहरा
बाग़ से मौसम-ए-बहार उठा
हिचकियाँ ले गुलाबियाँ रोएँ
बज़्म से जब ये मय-गुसार उठा
अज़्म रुख़्सत हुआ जब ही उस का
मेरे दिल से वहीं क़रार उठा
नहीं जो क़द्र-ए-अश्क आलम से
मोतियों का मगर वक़ार उठा
शम्अ से सोज़ 'अमानी' पूछा तिरा
इक धुआँ उस के दिल से यार उठा
- पुस्तक : Noquush (पृष्ठ B-386 E398)
- प्रकाशन : Nuqoosh Press Lahore (May June 1954)
- संस्करण : May June 1954
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