वो जब देगा जो कुछ देगा देगा अपने वालों को
वो जब देगा जो कुछ देगा देगा अपने वालों को
वैसे भी कुछ मिलता कब है धूप में तपने वालों को
दीन धर्म महफ़ूज़ हैं लेकिन तस्वीरों जुज़दानों में
वक़्त पड़े तो ले आते हैं माला जपने वालों को
ख़्वाबों की बारिश तो सारे ज़ख़्म हरे कर देती है
नींद कहाँ से आएगी फिर भीगे सपने वालों को
अख़बारों की सुर्ख़ी बनना सब के बस की बात नहीं
ऊँचा मोल चुकाना पड़ता है रोज़ के छपने वालों को
जाने कैसे ऐसे वैसे आगे बढ़ते जाते हैं
पास से जा कर किस ने देखा 'बद्र' पनपने वालों को
- पुस्तक : TO MAIN KAHAN HOON (POETRY) (पृष्ठ 47)
- रचनाकार : Badr Wasti
- प्रकाशन : Madhya Pradesh Urdu Academy (2010)
- संस्करण : 2010
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