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अन्य के शायर और अदीब

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उर्दू शायरी के निर्माताओं में से एक। मीर तक़ी मीर के समकालीन

उर्दू / हिंदवी के पहले शायर। मशहूर सूफ़ी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के शागिर्द और संगीतज्ञ। तबला और सितार जैसे साज़ों का अविष्कार किया। अपनी ' पहेलियों ' के लिए प्रसिद्ध जो भारतीय लोक साहित्य का हिस्सा हैं। ' ज़े हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल ' जैसी ग़ज़ल लिखी जो उर्दू / हिंदवी शायरी का पहला नमूना है।

उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल। शायरी में चुस्ती , शोख़ी और मुहावरों के इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में विख्यात, जिन्होंने आधुनिक उर्दू गज़ल के लिए राह बनाई/अपने गहरे आलोचनात्मक विचारों के लिए विख्यात/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

भाषाविद्, मीर तक़ी मीर और मीर दर्द के उस्ताद

सूफ़ी शायर, मीर तक़ी मीर के समकालीन। भारतीय संगीत के गहरे ज्ञान के लिए प्रसिध्द

प्रमुख मर्सिया-निगार, मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

उर्दू के अनोखी शैली के गद्यकार और शायर. ‘आब-ए-हयात’ के रचनाकार. उर्दू में आधुनिक कविता के आन्दोलन के संस्थापकों में शामिल.

18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन

ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन। वह हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालीब ने उनके शेर "तुम मेरे पास होते हो गोया, जब कोई दूसरा नही होता" पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी

मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन। अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली, दीवाली, श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर

प्रमुख क्लासिकी शायर, मीर दर्द के छोटे भाई।

18वीं सदी के अग्रणी शायरों में विख्यात

आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के उस्ताद और राजकवि , मिर्ज़ा ग़ालिब से उनकी प्रतिद्वंदिता प्रसिद्ध है।

शायरी के अलावा अपनी सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध। कम उम्र में देहांत हुआ

मुग़ल बादशाह शाह आलम सानी के उस्ताद, मीर तक़ी मीर के बाद के शायरों के समकालीन

ग़ालिब की गज़लों के आलोचक

उर्दू आलोचना के संस्थापकों में शामिल/महत्वपूर्ण पूर्वाधुनिक शायर/मिजऱ्ा ग़ालिब की जीवनी ‘यादगार-ए-ग़ालिब लिखने के लिए प्रसिद्ध

आधुनिक उर्दू शायरी और आलोचना का महत्वपूर्ण नाम। भारतीय दर्शन और संगीत से गहरी दिलचस्पी। आल इंडिया रेडियो से संबंधित थे।

लोकप्रिय शायर और फि़ल्म गीतकार/प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली के गीतों के लिए मशहूर

पंजाबी की लोकप्रिय कवयित्री-लेखिका। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

आख़िरी मुग़ल बादशाह। ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन

अग्रणी आधुनिक शायर और कहानीकार, भारत में आधुनिक उर्दू नज़्म के विकास में महत्वपूर्ण यागदान, पद्मश्री से सम्मानित

दाग़ देहलवी के शिष्य

उर्दू के पहले उपन्यासकार के रूप में विख्यात

मीर से पहले के मशहूर शायर, उर्दू शायरी के संस्थापक

उत्तर-आधुनिक उर्दू शायरी की एक प्रख्यात शख़्सियत

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

मीर तक़ी ' मीर ' के समकालीन और उनके प्रतिद्वंदी के तौर पर प्रसिद्ध। उन्हे उनके पिता ने क़त्ल किया।

अपने दोहों के लिए मशहूर।

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर। उनकी कुछ ग़ज़लें ' बाज़ार ' और ' गमन ' , जैसी फिल्मों से मशहूर

सुप्रिसिद्ध लेखक जो फोर्ट विलियम कॉलेज से जुड़े रहे और उर्दू में आधुनिक गद्य की स्थापना में अहम किरदार निभाया

महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिद्ध

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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