दोस्त
उस से जब कहता हूँ मैं
मेरा एक
नन्हा-मुन्ना दोस्त है
पूछता है कौन है
सामने की दाँत उस के
आठ
सब शफ़्फ़ाफ़ मोती
मिशअलें
उस की शरीर पर आँखों में रौशन
लब पे उस के
नित-नए ताज़ा हसीं अल्फ़ाज़
शाइ'र अव्वलीं शाइ'र
तिलस्माती ज़बाँ का अव्वलीं शाइ'र
वो शेरों हाथियों गैंडों
सुनहरी बत्तखों की बंदरों की हम्द गाता है
खिलौना गाड़ियों में
शहर की मसरूफ़ सड़कों पर
मुझे और माँ को अम्मी और अब्बा को घुमाता है
मिरी बातों पे मेरा नन्हा-मुन्ना दोस्त हँसता चहचहाता है
मैं नन्हा दोस्त हूँ
मैं ही वो नन्हा दोस्त हूँ
मैं दोस्त हूँ
मैं दोस्त हूँ
मैं पूछता हूँ मेरा नन्हा दोस्त
मुझ से प्यार करता है तो कितना प्यार करता है
वो बाज़ू खोलता है और ज़मीन-ओ-आसमाँ
उन में छुपा कर मुझ से कहता है
बहुत करता हूँ इतना ढेर सा इतना बहुत करता हूँ
घोड़ा रुक गया
मेरा कबूतर उड़ गया
चिड़िया जो दाना खा गई
वो मैं भी खाऊँगा
गिलहरी सो न जाए और बंदर
उन को मैं बिस्कुट खिलाउँगा
मुझे तोता दिखाओ
सब्ज़ चोंच और सुर्ख़ तोता
रीछ कुत्ता भेड़िया बिल्ली का बच्चा
उन की तस्वीरें कहाँ हैं
आज उन के पास जाउँगा
उन्हें मैं उन की तस्वीरें दिखाऊँगा
- पुस्तक : Lambi Barish (पृष्ठ 161)
- रचनाकार : 2002
- प्रकाशन : Sahitya Akademi, New Delhi (2002)
- संस्करण : 2002
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