जवानों से ख़िताब
रोचक तथ्य
(This poem was recited at the 13th Annual Meeting of Anjuman Madrasa Al-Banat Jalandhar City)
ख़बर-दार ऐ बे-ख़बर ना-ख़ुदाओ
बला का भँवर है ग़ज़ब का बहाओ
तबाही में है कश्ती-ए-क़ौम आओ
बचाओ इसे डूबने से बचाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
जवानी में हो इस क़दर ला-उबाली
जवानी नहीं बार बार आने वाली
जवानी की ताक़त का मक़्सद है 'आली
जवानी न 'ऐश-ओ-तरब में गँवाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
हमारी ग़रीबी सितम-आफ़रीं है
हमारा ठिकाना कहीं भी नहीं है
न ए'ज़ाज़-ए-दुनिया न तौक़ीर-ए-दीं है
तदब्बुर करो दस्त-ओ-बाज़ू हिलाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
मुसीबत से काफ़ूर होती है ग़फ़्लत
मुसीबत से दो-चंद होती है हिम्मत
मुसीबत से बेदार होती है क़िस्मत
मुसीबत जो आए तो घबरा न जाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
कहाँ है तुम्हारी वो आन-ए-हिजाज़ी
ये क्या ले के बैठे हो शतरंज-बाज़ी
बनो मर्द-ए-मैदाँ बनो मर्द-ए-ग़ाज़ी
'अदू पर शुजा'अत का सिक्का बिठाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
तन-आसानियों में गिरफ़्तार हो तुम
तरक़्क़ी की राहों से बेज़ार हो तुम
कभी तुम ने सोचा है क्यों ख़्वार हो तुम
ये क्या ज़िंदगी है तुम्हीं ख़ुद बताओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
बुराई की बातों में रक्खा ही क्या है
बदी का नतीजा हमेशा बुरा है
ख़ुदा ने तुम्हें आज मौक़ा' दिया है
करो ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ नेकी कमाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
अगर चाहते हो बढ़े ख़ैर-ओ-बरकत
अगर चाहते हो बढ़े शान-ओ-शौकत
अगर चाहते हो बढ़े माल-ओ-दौलत
उठो फिर तिजारत का बीड़ा उठाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
रहेंगे तुम्हारे ये हालात कब तक
न बदलोगे अपने ख़यालात कब तक
सुनोगे न तुम 'फ़ैज़' की बात कब तक
ख़ुदा के लिए क़ौम पर रहम खाओ
जवानो कोई काम करके दिखाओ
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