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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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ग़ज़ल से सम्बंधित प्रसिद्ध कथन और उद्धरण

ग़ज़ल उर्दू की सबसे लोकप्रिय

विधा है। उर्दू शायरी के आरंभिक दौर से अब तक कुछ ही ऐसे शायर रहे होंगे जिन्होंने ग़ज़ल की विधा में शायरी न की हो। अपनी इसी लोकप्रियता के कारण ग़ज़ल आलोचकों और शायरों की प्रशंसा और आलोचना का विषय रही है। यहाँ हम ग़ज़ल के बारे में कही गई ऐसे ही कथनों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप ग़ज़ल की जादुई दुनिया से परिचित हो सकेंगे।

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ग़ज़ल हमारी सारी शायरी नहीं है, मगर हमारी शायरी का इत्र ज़रूर है।

आल-ए-अहमद सुरूर

ग़ज़ल वो बाँसुरी है जिसे ज़िंदगी की हलचल में हमने कहीं खो दिया था और जिसे ग़ज़ल का शायर कहीं से फिर से ढूंढ लाता है और जिसकी लय सुनकर भगवान की आँखों में भी इन्सान के लिए मुहब्बत के आँसू जाते हैं।

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़ज़ल इबारत, इशारत और अदा का आर्ट है।

आल-ए-अहमद सुरूर

ग़ज़ल अपने मिज़ाज के एतबार से ऊँचे और मुहज़्ज़ब तबक़े की चीज़ है। इसमें आम इन्सान नहीं आते।

सय्यद एहतिशाम हुसैन

ग़ज़ल की ज़बान सिर्फ़ महबूब से बातें करने की ज़बान नहीं, अपनी बात और अपने कारोबार-ए-शौक़ की बात की ज़बान है और यह कारोबार-ए-शौक़ बड़ी वुसअत रखता है।

आल-ए-अहमद सुरूर

नई ग़ज़ल वज़ा करने का टोटका ये है कि नई अश्या के नाम शेर में इस्तेमाल कीजिए। जैसे कुर्सी, साईकिल, टेलीफ़ोन, रेलगाड़ी, सिग्नल।

इन्तिज़ार हुसैन

हमारे इजतिमाई अलामती निज़ाम की बड़ी अमीन ग़ज़ल चली आती है।

इन्तिज़ार हुसैन

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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