हास्य/व्यंग्य: शफ़ीक़ुर्रहमान की 5 चुनिंदा तहरीरें
मकान की तलाश में
मकान की तलाश, एक अच्छे और दिल-पसन्द मकान की तलाश, दुनिया के मुश्किल-तरीन उमूर में से है। तलाश करने वाले का क्या-क्या जी नहीं चाहता। मकान हसीन हो, जाज़िब-ए-नज़र हो, आस-पास का माहौल रूह-परवर और ख़ुश-गवार हो, सिनेमा बिल्कुल नज़दीक हो, बाज़ार भी दूर न हो। ग़रज़
शफ़ीक़ुर्रहमान
क्लब
यह उन दिनों का ज़िक्र है जब मैं हर शाम क्लब जाया करता था। शाम को बिलियर्ड रुम का इफ़्तिताह हो रहा है। चंद शौक़ीन अंग्रेज़ मेंबरों ने ख़ासतौर पर चंदा इकट्ठा किया... एक निहायत क़ीमती बिलियर्ड की मेज़ मँगाई गई। क्लब के सबसे मुअज़्ज़िज़ और पुराने मेंबर रस्म-ए-इफ़्तिताह
शफ़ीक़ुर्रहमान
फ़िलॉसफ़र
आख़िर इस गर्म सी शाम को मैंने घर में कह दिया कि मुझसे ऐसी तपिश में नहीं पढ़ा जाता। अभी कुछ इतनी ज़्यादा गर्मियां भी नहीं शुरू हुई थीं। बात दरअसल ये थी कि इम्तिहान नज़दीक था और तैयारी अच्छी तरह नहीं हुई थी। ये एक क़िस्म का बहाना था। घर भर में सिर्फ़ मुझे