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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अदा जाफ़री

1924 - 2015 | कराची, पाकिस्तान

महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायरा, अपनी नर्म और सुगढ़ शायरी के लिए विख्यात।

महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायरा, अपनी नर्म और सुगढ़ शायरी के लिए विख्यात।

अदा जाफ़री

ग़ज़ल 43

नज़्म 18

अशआर 58

हाथ काँटों से कर लिए ज़ख़्मी

फूल बालों में इक सजाने को

मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँ

तुम मुझ से पूछते हो मिरा हौसला है क्या

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए

आए तो सही बर-सर-ए-इल्ज़ाम ही आए

हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है

कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना

अगर सच इतना ज़ालिम है तो हम से झूट ही बोलो

हमें आता है पतझड़ के दिनों गुल-बार हो जाना

पुस्तकें 19

चित्र शायरी 6

 

वीडियो 18

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अदा जाफ़री

तौफ़ीक़ से कब कोई सरोकार चले है

अदा जाफ़री

शिकस्त-ए-साज़

मैं ने गुल-रेज़ बहारों की तमन्ना की थी अदा जाफ़री

ऑडियो 12

आलम ही और था जो शनासाइयों में था

एक आईना रू-ब-रू है अभी

ढलके ढलके आँसू ढलके

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