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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अशोक साहिल

ग़ज़ल 2

 

अशआर 3

उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं जब से ज़बान पर

तहज़ीब मेहरबाँ है मिरे ख़ानदान पर

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दिल की बस्ती में उजाला ही उजाला होता

काश तुम ने भी किसी दर्द को पाला होता

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तेरे सिवा किसी से त'अल्लुक़ था मुझे

लेकिन तमाम शहर ने रुस्वा किया मुझे

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क़ितआ 1

 

चित्र शायरी 1

 
 

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